भारत शासन अधिनियम 1861
1861 का भारतीय परिषद अधिनियम भारत के संवैधानिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण और युगांतकारी घटना है। यह 2 मुख्य कारणों से महत्वपूर्ण है। एक इसने गवर्नर जनरल को अपनी विस्तारित परिषद में भारतीय जनता के प्रतिनिधियों को नामजद कर के उन्हें विधायी कार्यों से सम्बद्ध करने का अधिकार देना। दूसरा मुंबई व मद्रास की सरकार को भी विधायी शक्तियां देना।
प्रावधान:
1.वायसराय को अपनी परिषद में 6 से 12 सदस्यों की वृद्धि करने का अधिकार दिया गया जो कानून निर्माण उनकी सहायता करते थे इनमें से आधे सदस्यों का गैर सरकारी होना आवश्यक था। इनका कार्यकाल 2 वर्ष का था तथा वायसराय इनकी राय को ठुकरा सकता था।
2. वायसराय की कार्यकारिणी में पांचवें सदस्य के रूप में "अर्थमंत्री" की नियुक्ति की गई जो गैर सरकारी सदस्य था।
3. वायसराय को अध्यादेश जारी करने का अधिकार दिया गया जो छह माह तक वैद्य रहता था।
4.प्रान्तों को विधि निर्माण करने का अधिकार दिया गया।
5. वायसराय को परिषद में कार्य संचालन के लिए अधिक नियम वह आदेश बनाने की शक्तियां प्रदान की गई। इसने लॉर्ड कैनिंग द्वारा 1859 में प्रारंभ की गई पोर्टफोलियो प्रणाली को भी मान्यता दी गई जिसके तहत प्रत्येक सदस्य को एक से अधिक सदस्यों को कार्यभार ग्रहण करना होता था।
6. बंगाल (1862), उत्तर पश्चिम सीमा प्रांत(1866)तथा पंजाब (1897) में विधान परिषद का गठन हुआ।
7. 1862 में लॉर्ड कैनिंग ने तीन भारतीयों बनारस के राजा, पटियाला के महाराजा तथा सर दिनकर राव को विधान परिषद में मनोनीत किया।
✍✍✍ शोभित अवस्थी
1861 का भारतीय परिषद अधिनियम भारत के संवैधानिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण और युगांतकारी घटना है। यह 2 मुख्य कारणों से महत्वपूर्ण है। एक इसने गवर्नर जनरल को अपनी विस्तारित परिषद में भारतीय जनता के प्रतिनिधियों को नामजद कर के उन्हें विधायी कार्यों से सम्बद्ध करने का अधिकार देना। दूसरा मुंबई व मद्रास की सरकार को भी विधायी शक्तियां देना।
प्रावधान:
1.वायसराय को अपनी परिषद में 6 से 12 सदस्यों की वृद्धि करने का अधिकार दिया गया जो कानून निर्माण उनकी सहायता करते थे इनमें से आधे सदस्यों का गैर सरकारी होना आवश्यक था। इनका कार्यकाल 2 वर्ष का था तथा वायसराय इनकी राय को ठुकरा सकता था।
2. वायसराय की कार्यकारिणी में पांचवें सदस्य के रूप में "अर्थमंत्री" की नियुक्ति की गई जो गैर सरकारी सदस्य था।
3. वायसराय को अध्यादेश जारी करने का अधिकार दिया गया जो छह माह तक वैद्य रहता था।
4.प्रान्तों को विधि निर्माण करने का अधिकार दिया गया।
5. वायसराय को परिषद में कार्य संचालन के लिए अधिक नियम वह आदेश बनाने की शक्तियां प्रदान की गई। इसने लॉर्ड कैनिंग द्वारा 1859 में प्रारंभ की गई पोर्टफोलियो प्रणाली को भी मान्यता दी गई जिसके तहत प्रत्येक सदस्य को एक से अधिक सदस्यों को कार्यभार ग्रहण करना होता था।
6. बंगाल (1862), उत्तर पश्चिम सीमा प्रांत(1866)तथा पंजाब (1897) में विधान परिषद का गठन हुआ।
7. 1862 में लॉर्ड कैनिंग ने तीन भारतीयों बनारस के राजा, पटियाला के महाराजा तथा सर दिनकर राव को विधान परिषद में मनोनीत किया।
✍✍✍ शोभित अवस्थी
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