छोटा नागपुर का पठार

 छोटा नागपुर का पठार
                              पूर्व कैंब्रियन  युगीनचट्टानों से निर्मित छोटा नागपुर का पठार गोंडवाना प्लेट का एक भाग है। यदि इसकी अवस्थित की बात करें तो यह गंगा के मैदान के दक्षिण में तथा महानदी बेसिन के उत्तर में है। यह बिहार, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल तथा मुख्यतः झारखंड राज्य में 65000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर फैला है । छोटा नागपुर पठार की औसत ऊंचाई 700 मीटर तक तथा इसकी सबसे ऊंची पहाड़ी पारसनाथ पहाड़ी है जिस पर जैनों का तीर्थ स्थान पारसनाथ मंदिर स्थित है। छोटा नागपुर पठार से दो प्रमुख नदियां दामोदर और स्वर्णरेखा नदी निकलती है। पश्चिम बंगाल का अभिशाप कही जाने वाली दामोदर नदी छोटा नागपुर पठार पर पश्चिम से पूर्व की ओर अपनी भ्रंश घाटी में बहती हुई पश्चिम बंगाल में हुगली नदी से मिल जाती है। दामोदर नदी छोटा नागपुर पठार को दो भागों में बांटती है उत्तरी भाग को हजारीबाग का पठार का दक्षिणी भाग को रांची के पठार के नाम से जाना जाता है। स्वर्णरेखा नदी के तट पर झारखंड की राजधानी रांची स्थित है।
       

छोटा नागपुर पठार में लाल मिट्टी पाई जाती है तथा इसका 38 प्रतिशत क्षेत्र जंगलों से आच्छादित  रहता है जिसमें कक्कर , शलभास तथा  मैना आदि पक्षी पाए जाते हैं साथ ही चीता, बाघ, शार्दूल , भालू, सियार, आदि  जानवर भी देखने को मिलते हैं।  छोटा नागपुर पठार के  कई क्षेत्रों को  संरक्षित किया गया है जिनमें झारखंड का कोडरमा पक्षी विहार और पालामऊ बाग अभ्यारण ,मध्य प्रदेश का संजय राष्ट्रीय उद्यान ,ओड़िशा का सेमली पाल राष्ट्रीय उद्यान आदि प्रमुख है।
               भारत में पाए जाने वाले खनिजों का 70% छोटा नागपुर पठार से ही प्राप्त होता है जिनमें लोहा, यूरेनियम ,बॉक्साइट, मायका, कॉपर तथा मुख्यता कोयला आदि खनिज प्रमुख हैं। इसीलिए छोटा नागपुर पठार  को रूर प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है। रुप प्रदेश जर्मनी का एक खनिज बाहुल्य वाला क्षेत्र है। बोकारो की स्टील की खान, गुरमहिषानी की लोहे की खान, हजारीबाग की अभ्रक की खान, जमशेदपुर का कोयला का कारखाना इसके अतिरिक्त झरिया  की कोयले की खान, जादूगोड़ा की यूरेनियम की खान आदि यहां की प्रमुख खानों में से एक है।  भारत में खनिज संसाधनों का सबसे महत्वपूर्ण संकेदृण छोटा नागपुर पठार में है।

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