विंध्याचल पर्वत श्रेणी

                                  विंध्याचल पर्वत श्रेणी

           विंध्या संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है 'रास्ते में पड़ना’
भारत के प्राचीन पर्वतों में से एक विंध्याचल पर्वत श्रेणी भारत के मध्य में स्थित है। यह भारत को उत्तर तथा दक्षिण में दो बराबर भागों में बांटती है। विंध्य पर्वत कर्क रेखा के समांतर मुख्यतः मध्य प्रदेश तथा गुजरात ,बिहार ,यूपी तक फैला हुआ है।

विंध्य पर्वत तथा सतपुड़ा पहाड़ी समानांतर रूप से नर्मदा नदी के साथ 1100 किलोमीटर तक फैले हुए हैं। माना जाता है की मध्य प्रदेश में स्थित अमरकंटक के पास सतपुडा और विंध्य पर्वत आपस में मिल जाते हैं।   विंध्य पर्वतमाला की सबसे ऊंची चोटी कालूमल चोटी (752 फीट है) जिसे सद्भावना चोटी ( goodwill peak)भी कहते हैं।

यदि पशु साम्राज्य की बात करें तो विंध्याचल सफेद शेरों के लिए प्रसिद्ध है साथ ही यहां जंगली भैंस, चित्तीदार हिरण, तेंदुआ  तथा सांभर  आदि जानवर पाए जाते हैं।  मौसमी वर्षा होने के कारण विंध्य पर्वतमाला में शुष्क पर्णपाती वन पाए जाते हैं जिनमें सागौन, साल और बांस के पेड़ मिलते हैं।
     विंध्य पर्वत श्रेणी उत्तर भारत के मैदान के अपवाह तंत्र को दक्षिण भारत के प्रायद्वीप के अपवाह तंत्र से अलग करती है क्योंकि इसके उत्तरी भाग तथा दक्षिणी भाग का ढलान क्रमशः उत्तर तथा दक्षिण की ओर है। जहां एक ओर विंध्य पर्वत के अमरकंटक से निकलने वाली नर्मदा दक्षिण की ओर बह कर अपनी भ्रंश घाटी में चली जाती है वहीं दूसरी ओर विंध्य पर्वत के उत्तरी भाग से निकलने वाली नदियां कालीसिंध ,चंबल, बेतवा ,केन, क्षिप्रा ,पार्वती ,रिहंद उत्तर भारत की ओर बहती हुई गंगा तथा यमुना में मिल जाती है।
 विंध्य पर्वत पर मुख्यतः भवन निर्माण सामग्री जैसे लाल पत्थर ,बलुआ पत्थर, चूना पत्थर, रेत पाई जाती है इसके अतिरिक्त या हीरा, डोलोमाइट, कोयला के भंडार मिलते हैं। पूर्व में विंध्य पर्वत को भांडेर पहाड़ी तथा कैमूर पहाड़ी के नाम से भी जाना जाता है।
   
                              

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