1919 के अधिनियम की धारा 84 के अनुसार 'सर जॉन साइमन' की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन नवंबर 1927 को किया गया। इस आयोग का उद्देश्य नये संविधान में भारत की स्थिति का पता लगाना था। इस आयोग में 7 सदस्य थे जो सभी ब्रिटिश थे इसलिए सभी भारतीय दलों ने इसका बहिष्कार किया।
सर जान साइमन
आयोग ने रिपोर्ट जून 1930 में पेश की तथा द्वैध शासन प्रणाली, राज्यों में सरकारों का विस्तार, ब्रिटिश भारत के संघ की स्थापना एवं सांप्रदायिक निर्वाचन व्यवस्था को जारी रखने की सिफारिश की। आयोग द्वारा डोमिनियन दर्जे की मांग ठुकरा दिए जाने के बाद कांग्रेस ने 1929 में लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव पारित किया।
✍✍✍ शोभित अवस्थी
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