संविधान सभा
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संविधान सभा |
सर्वप्रथम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1935 में भारत के संविधान के निर्माण के लिए आधिकारिक रूप से संविधान सभा के गठन की मांग की हालांकि संविधान सभा के गठन का विचार 1934 में सबसे पहले एम.एन. राय ने रखा था।
1935 में कांग्रेस की ओर से पंडित जवाहरलाल नेहरू ने घोषणा की, "स्वतंत्र भारत के संविधान का निर्माण वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनी गई संविधान सभा द्वारा किया जाएगा और इसमें कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं होगा।" नेहरू के इस प्रस्ताव को सरकार ने अन्ततः स्वीकार कर लिया। इसे अगस्त प्रस्ताव के नाम से भी जाना जाता है।संविधान सभा का गठन
संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन योजना द्वारा सुझाए गए प्रस्ताव के तहत 6 दिसंबर 1946 को हुआ जो एक सदनीय थी। संविधान सभा के कुल सदस्य संख्या 389 होनी थी जिसमें 296 ब्रिटिश भारत के लिए आवंटित थी जिनमें 11 गवर्नरो के प्रांत तथा 4 का चुनाव प्रेसिडेंसी से होना था और 93 सीटें रियासतों को आवंटित थी । प्रत्येक सीट 10 लाख की जनसंख्या के आधार पर आवंटित थी।संविधान सभा के लिए चुनाव जुलाई-अगस्त 1946 में 296 सीटों पर हुए। इस चुनाव में कांग्रेस को 208, मुस्लिम लीग को 73 तथा स्वतंत्र सदस्यों को 15 सीटें मिली। देशी रियासतो की 93 सीटें नहीं भरी जा सकी क्योंकि रियासतों ने स्वयं को संविधान सभा से अलग रखने का निर्णय लिया था। संविधान सभा का चुनाव भारत के व्यस्क मताधिकार द्वारा प्रत्यक्ष रूप से नहीं हुआ था फिर भी इसमें प्रत्येक समुदाय मसलन हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति,पारसी के प्रतिनिधियों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला था तथा संविधान सभा में महिलाओं को भी शामिल किया गया था। महिलाओं की संख्या 15 थी। महात्मा गांधी को छोड़कर तत्कालीन भारत की सभी बड़ी हस्तियां संविधान सभा में शामिल थी।
संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को संपन्न हुई। इस बैठक में 211 सदस्यों ने भाग लिया। मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की मांग का राग अलापते हुए बैठक का बहिष्कार किया। फ्रांस की तर्ज पर सभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य डॉ सच्चिदानंद सिन्हा को इस बैठक में अस्थाई अध्यक्ष चुना गया। 11 दिसंबर 1946 को हुई अगली बैठक में डॉ राजेंद्र प्रसाद को सभा का स्थाई अध्यक्ष बनाया गया तथा एच.सी. मुखर्जी तथा वी.टी. कृष्णमाचारी को संविधान सभा का संयुक्त रूप से उपाध्यक्ष चुना गया।
13 दिसंबर 1946 को जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा में एक ऐतिहासिक उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया जिसे 22 जनवरी 1947 को स्वीकार कर लिया गया। इसने संविधान के स्वरूप को काफी हद तक प्रभावित किया। कालांतर में इसका परिवर्तित रूप ही संविधान की प्रस्तावना बना।
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देसी रियासतों के प्रतिनिधि धीरे- धीरे संविधान सभा में शामिल होने लगे । 28 अप्रैल 1947 को 6 राज्यों के प्रतिनिधि सभा के सदस्य बन चुके थे 3 जून 1948 को भारत के बटवारे के लिए पेश की गई माउंटबेटन योजना स्वीकार करने के बाद अन्य रियासतो के प्रतिनिधियों ने भी अपनी सीटें ग्रहण कर ली तथा भारतीय क्षेत्र के मुस्लिम लीग के सदस्य भी सभा में शामिल हो गए। देश के विभाजन के हो जाने से संविधान सभा की सदस्य संख्या 299 हो गई जिनमे ब्रिटिश प्रांत की संख्या 229 रियासतों की संख्या 70 थी।
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जवाहर लाल नेहरू.. हस्ताक्षर करते हुए |
संविधान सभा के कार्य
संविधान सभा के दो मुख्य कार्य थे जिनमें पहला था स्वतंत्र भारत का संविधान बनाना तथा दूसरा देश के कानूनों को लागू करना। जब भी संविधान सभा की बैठक संविधान सभा के रूप में होती थी तो इसकी अध्यक्षता डॉ राजेंद्र प्रसाद करते थे लेकिन जब इसकी बैठक बतौर विधायिका होती थी तो उसकी अध्यक्षता जी.वी. मावलंकर करते थे। संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 तक इन दोनों रूपों में कार्य किया।
अन्य कार्य
1. 22 जुलाई 1947 को राष्ट्रध्वज स्वीकार किया।2. संविधान सभा ने मई 1949 को राष्ट्रमंडल की सदस्यता स्वीकार की ।
3. 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गीत तथा राष्ट्रगान स्वीकार किया।
4. 24 जनवरी 1950 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को भारत का पहला राष्ट्रपति चुना गया।
संविधान की अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 को हुई जिसमें संविधान सभा के सदस्यों द्वारा संविधान में हस्ताक्षर किए गए संविधान सभा ने 26 जनवरी 1950 से लेकर 1952 तक अंतरिम संसद का कार्य किया।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1.संविधान के बनने में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन लगे ।2. सभा ने लगभग 60 देशों के संविधानो का अवलोकन किया तथा इसके प्रारूप पर 114 दिन तक विचार किया।
3. संविधान निर्माण में कुल 64 लाख का खर्च आया।
4.संविधान सभा द्वारा हाथी को प्रतीक(मुहर) के रूप में अपनाया गया।
5. सर बी. एन. राव को संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया।
6. एच.वी.आर. आयंगर को संविधान सभा का सचिव नियुक्त किया गया।
7. एल.एन. मुखर्जी को संविधान सभा का मुख्य प्रारूपकार नियुक्त किया गया।
8. प्रेम बिहारी नारायण रायजादा भारतीय संविधान के प्रमुख लेखक थे ।
9.मूल संस्करण का सौंदर्यीकरण तथा सजावट शांति निकेतन के कलाकारों ने किया जिनमें मंदलाल बोस और बिउहर राम मनोहर सिन्हा शामिल थे।
10. मूल प्रस्तावना को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा द्वारा हस्तलिखित एवं बिउहर राम मनोहर सिन्हा द्वारा ज्यामितिमय अलंकृत किया गया था ।
11.मूल संविधान के हिंदी संस्करण का सुलेखन बसंत कृष्ण वैद्य द्वारा किया गया जिसका नंदलाल बोस ने सुंदर ढंग से चित्रांकन किया।
संविधान सभा की प्रमुख समितियां :
1. प्रारूप समिति -ये संविधान सभा की सबसे महत्वपूर्ण समितियों में से एक थी। इसका गठन 29 अगस्त 1947 को हुआ था। इसके अध्यक्ष डॉ बी. आर. अंबेडकर बने तथा अन्य सदस्य N.गोपाल स्वामी आयंगर, अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर,डॉ. के.एम. मुंशी, सैयद मोहम्मद सादुल्ला, N. माधवराव (जो B.L. मित्र की जगह पर आए जिन्होंने स्वास्थ्य कारणों से त्यागपत्र दिया था), टी.टी.कृष्णामाचारी( 1948 में डी.पी. खेतान की मृत्यु हो जाने पर है)![]() |
Member of constitutional assembly |
2.संघ शक्ति समिति- जवाहर लाल नेहरू
3.संघीय संविधान समिति-जवाहर लाल नेहरू
4.प्रांतीय संविधान समिति- सरदार पटेल
5.अल्पसंख्यक समिति- सरदार पटेल
6.प्रक्रिया नियम समिति-डॉ राजेंद्र प्रसाद
7.संचालन समिति-डॉ राजेंद्र प्रसाद
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Penned By ✍✍ - Shobhit Awasthi
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