मध्य प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र तथा राजस्थान के दक्षिण पूर्व क्षेत्र में 81767 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर विस्तृत मालवा का पठार मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी भौगोलिक संरचना है। मालवा पठार की औसत ऊंचाई 500 मीटर तक है तथा इस की सर्वोच्च चोटी सिगार (881 मीटर )है।
मालवा पठार दक्कन ट्रैप की बेसाल्ट चट्टानों द्वारा निर्मित है जिस कारण यहां काली मिट्टी पाई जाती है जो कपास, गेहूं और सोयाबीन की खेती के लिए उपयुक्त है। इसी के चलते मध्य प्रदेश को सोयाबीन स्टेट के नाम से जानते हैं।
यहांँ का तापमान 40 से 42 डिग्री सेल्सियस तक रहता है साथ ही 75 से 125 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है।
चंद्रगुप्त द्वितीय के समय एक चीनी यात्री फाह्यान भारत भ्रमण पर आया था उसने मालवा पठार को विश्व की सर्वश्रेष्ठ जलवायु वाला क्षेत्र कहा था।
कर्क रेखा मालवा पठार के मध्य से होकर गुजरती है। मालवा पठार के उत्तर पश्चिम में अरावली तथा दक्षिण में विंध्य पर्वत आधार पर फैला हुआ है। मध्य प्रदेश के लगभग सभी प्रमुख जिले इंदौर ,उज्जैन ,सागर, रायसेन, धार ,भोपाल ,देवास मालवा पठार पर ही स्थित है।
इंदौर को मध्य प्रदेश का मुंबई कहा जाता है तथा यहां का सूती वस्त्र उद्योग देश भर में विख्यात है।
मालवा पठार की ढाल उत्तर की ओर है जो चंबल ,बेतवा ,काली सिंधु नदियों के अपवाह प्रारूप से स्पष्ट होता है। चंबल और उसकी सहायक नदियों ने मालवा पठार को अवनालिका के रूप मे अपरदित कर उसे बीहड़ या उत्खात भूमि में बदल दिया अतः अवनालिका अपरदन करने वाली प्रसिद्ध नदियों में से चंबल एक है।
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