पूर्वी तट के समांतर विस्तृत पूर्वी घाट पर्वत की उत्पत्ति कुडप्पा भूसन्नति से मानी जाती है। पश्चिमी घाट पर्वत की तुलना में पूर्वी घाट पर्वत अधिक प्राचीन एवं अनियमित है । महानदी बेसिन से नीलगिरी की पहाड़ियों तक विस्तृत इस पर्वत की लंबाई लगभग 3000 किलोमीटर है। 100 से 200 किलोमीटर चौड़ाई वाले पूर्वी घाट पर्वत का विस्तार ओड़िशा आंध्र प्रदेश तेलंगाना तथा तमिलनाडु राज्य में होने के साथ ही यह कर्नाटक से गुजरता हुआ केरल के वायनाड क्षेत्र को भी छूता है। पूर्वी घाट पर्वत की औसत ऊंचाई 600 मीटर तथा आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम जिले में स्थित अरमाकोंडा (1680 मीटर) इसकी सर्वोच्च चोटी है।दक्कन ट्रैप चट्टानों से निर्मित दक्कन का पठार, पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट के बीच ,सीमा के पश्चिम में स्थित है। दक्षिण की ओर जाने पर पूर्वी तथा पश्चिमी घाट पर्वत नीलगिरी पर्वत के रूप में आपस में मिल जाते हैं।
प्रायद्विपीय पठार का ढाल पूर्व की ओर होने के कारण दक्षिण भारत की अधिकांश नदियां पूर्व की ओर बहती हुई बंगाल की खाड़ी में अपना जल गिराती हैं। जिनमें महानदी गोदावरी कृष्णा कावेरी नदी प्रमुख है। इन्हीं नदियों ने पूर्वी घाट पर्वत को जगह-जगह पर काट दिया है। यही कारण है कि पश्चिमी घाट पर्वत के समान पूर्वी घाट पर्वत नियमित तथा क्रमबद्ध नहीं है। इसीलिए पूर्वी घाट पर्वत को जल मार्ग का विभाजन कहा जाता है। पूर्वी घाट पर्वत को प्रत्येक राज्य मे अलग अलग नाम से जाना जाता है। आंध्र प्रदेश में नल्लामलाई ,पालकोंडा, वेलिकोंडा तेलंगाना में शेषाचलम तथा तमिलनाडु में जेवाडी , शेवाराय, पंचामलाई, शिरूमलाई आदि नाम से जाना जाता है ।
शेरुमलाई, कोल्ली तथा ऊटकमंडक (ऊटी) यहां के प्रमुख हिल स्टेशनों में से एक है । महेंद्र गिरी, देवगिरी, चंद्रगिरी ,जिंदगड़ा तथा देवमाली आदि पूर्वी घाट की बड़ी ऊंचाइयों पर स्थित पर्वत है। पूर्वी घाट पर्वत को बौद्ध खंडहर का घर माना जाता हैं। जैव विविधता की बात करें तो यहां अनुमानित 3200 फलों की प्रजाति पाई जाती हैं। यहां गौर सांभर शेर तेंदुआ आदि जानवर देखने को मिलते हैं। इसके अतिरिक्त सदाबहार से लेकर पर्णपाती हर प्रकार के वृक्ष पाए जाते हैं । नीलगिरी पर्वत तथा तमिलनाडु की पहाड़ियों पर चंदन और सागौन के वृक्ष बहुतायत में देखने को मिलते हैं। पूर्वी घाट पर्वत की जलवायु कॉफी बागानों के लिए उपयुक्त हैं।
ओड़िशा का सिमली पाल राष्ट्रीय उद्यान पूर्वी घाट पर्वत पर ही स्थित है। साथ ही नल्लामलाई पहाड़ी पर स्थित नागार्जुन सागर श्री सेलम बाघ अभ्यारण भारत का सबसे बड़ा बाघ अभ्यारण है।
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