सम्राट अशोक

अशोक महान 

सम्राट अशोक
सम्राट अशोक

अशोक मौर्य वंश का सबसे महानतम शासक था। वह चंद्रगुप्त मौर्य का पौत्र तथा बिंदुसार का पुत्र था। अशोक का जन्म 13 अप्रैल 304 ईसा पूर्व को पाटलिपुत्र में हुआ था। सिंघली  अनुश्रुतियों के अनुसार अशोक ने अपने 99 भाइयों की हत्या करके मगध की सत्ता पाई थी। लेकिन यह  बात किवदंतियों पर आधारित है इसलिए इसकी सच्चाई प्रमाणित नहीं है। राज्याभिषेक से पहले अशोक उज्जैन का राज्यपाल था।

अशोक के 13 वे अभिलेख  से हमें कलिंग युद्ध के विषय में जानकारी प्राप्त होती है । अशोक की गृह व विदेश नीति बौद्धधर्म के आदर्शो से प्रेरित थी । सिंहासन प्राप्त करने के उपरांत अशोक ने मात्र एक युद्ध किया जो कलिंग युद्ध के नाम से जाना जाता है। इस युद्ध में लगभग एक लाख लोग मारे गए , इससे कहीं ज़्यादा घायल हुए तथा डेढ़ लाख लोग बंदी बनाए गए । आंकड़े अतिशंयोक्तिपूर्ण लग रहे हैं फिर भी इस भारी नरसंहार को देखकर अशोक द्रवित हो उठे। कलिंग युद्ध ने सम्राट अशोक के हृदय में महान परिवर्तन किया। अशोक ने युद्ध क्रियाओं को हमेशा के लिए बंद करने की शपथ ली।

अशोक ने उपगुप्त नामक बौद्ध भिक्षु से दीक्षा लेकर बौद्ध धर्म अपना लिया। जबकि इसके पूर्व अशोक ब्राह्मण मत का अनुयायी था। अशोक ने अपने शासनकाल में 10 वें वर्ष बोधगया की यात्रा की तथा 20 वें वर्ष लुम्बनी की यात्रा की तथा उसे कर मुक्त  घोषित कर दिया।

अशोक के शासनकाल से पूर्व विहार यात्राओं का प्रचलन था जिसमे मनोरंजनार्थ पशुओं का शिकार किया जाता था । अशोक ने इनके स्थान पर धम्म यात्रा का प्रावधान किया है जिसमें ब्राह्मणों, भिक्षुओ, श्रमणों तथा वृद्धो को दान दिया जाता था। अशोक ने शासन के 14वें वर्ष धम्ममहामात्र को नियुक्त किया । धम्ममहामात्र का प्रमुख कार्य धम्म का प्रचार करना तथा  कल्याणकारी कार्य करना होता था। अशोक ईरान के शासक दारा(डैरीयस ) से प्रेरणा लेकर जनता को अभिलेखों के द्वारा संबोधित करने वाला प्रथम शासक बना।

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तृतीय बौद्ध संगीति का आयोजन 250 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र में अशोक के काल में हुआ जिसकी अध्यक्षता मोग्गालिपुत्ततिस्स  ने की थी। इस संगीति में तीसरे पिटक अभिधम्मपिटक की रचना हुई तथा बौद्ध भिक्षुओं को विभिन्न देशों में भेजा गया जिनमें महेंद्र तथा संघमित्रा ( माता- शाक्य कुमारी 'देवी') भी शामिल थे जिन्हें श्रीलंका भेजा गया था।
अशोक पुत्र महेन्द्र
महेन्द्र



अशोक पुत्री संघमित्रा
संघमित्रा

अशोक ने राजनीतिक एकता स्थापित की। वह बौद्ध धर्म का अनुयायी था किंतु उसने अन्य सभी धर्मों का सम्मान किया। उसने प्रजा पर बौद्ध धर्म को लादने का प्रयास नहीं किया। उसने हर संप्रदाय को दान दिए। चाहे बौद्ध धर्म का अनुयायी हो या विरोधी। अशोक अहिंसा, शांति तथा  लोककल्याणकारी नीतियों के लिए विश्व विख्यात था। उसनेपशु हत्या तथा शिकार करना छोड़ दिया था । जनकल्याण के लिए सड़क, पाठशाला तथा चिकित्सालय बनवाये। वह अतुलनीय सम्राट था। अशोक ने लगभग 36 वर्षों तक शासन किया जिसके बाद लगभग 232 ईसा पूर्व उसकी मृत्यु हो गई।

अभिलेख

अशोक भारत का पहला राजा था जिसने अपने अभिलेखों के द्वारा अपनी प्रजा को संबोधित किया। अशोक के अभिलेखों को सर्वप्रथम जेम्स प्रिंसेप ने 1937 में पढ़ने में सफलता हासिल की। कर्नाटक में पाए गए 3 लघु शिलालेखों तथा मध्य प्रदेश के दतिया जिले में प्राप्त लघु शिलालेख में अशोक का नाम अशोक लिखा मिला है। इसके अतिरिक्त अन्य सभी अभिलेखों में अशोक को देवानाप्रिय, प्रियदर्सी् (देवोंं का प्यारा) के नाम से वर्णित किया गया है । अशोक के अधिकतर अभिलेख ब्राम्ही लिपि में पाए गए हैं किंतु पश्चिमोत्तर भारत में कुछ  अभिलेख खरोष्ठी तथा अरमाइक  लिपि में भी पाए गए है।

अशोक के अभिलेखों को 5 श्रेणियों में बांटा गया है-
            1.शिलालेख
            2.लघु शिलालेख
            3.स्तंभलेख
            4.लघुस्तंभलेख
            5.गुहालेख

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अशोक के शिलालेख

 अशोक के 14 शिलालेख आठ अलग-अलग स्थानों से प्राप्त है।

 1.शाहबाजगढ़ी:

 इस शिलालेख की खोज 1836 ईसवी में पेशावर (पाकिस्तान) में हुई थी। यह खरोष्ठी लिपि में है।

 2.मानसेहरा:

यह  शिलालेख पाकिस्तान के हजारा जिले में स्थित है जिसकी खोज 1889 ईसवी में हुई थी।यह अभिलेख भी खरोष्ठी लिपि में लिखा गया है।

3.गिरनार:

गिरनार शिलालेख ब्राह्मी लिपि में लिपिबद्ध है जिसकी  खोज 1822 में जूनागढ़ (गुजरात) में की गई थी।

4. धौली:

यह शिलालेख 1837ईस्वी में पुरी (उड़ीसा) में खोजा गया। यह ब्राम्ही लिपि में है।

5.कालसी :

कालसी शिलालेख की खोज 1837 ईस्वी में हुई थी । यह ब्राह्मी लिपि में है तथा देहरादून (उत्तराखंड) में स्थित है।

6.जौगढ़:

जौगढ़ शिलालेख की खोज आंध्र प्रदेश के गंजाम जिले में 1850 ईसवी में हुई थी।  यह ब्राम्ही में लिपिबद्ध है ।

7.सोपारा: 

यह शिलालेख महाराष्ट्र के पालघर जिले में स्थित है जिसकी खोज 1882 ईसवी में हुई थी। यह ब्राम्ही लिपि में लिखा गया है ।


8. ऐरागुडि:

यह शिलालेख ब्राह्मी लिपि में लिखा गया है। इसकी खोज 1916 में कुरनूल(आंध्र प्रदेश) में की गई है।


सांची स्तूप, दक्षिणी दरवाजा ( सम्राट अशोक के तत्कालीन रामग्राम स्तूप,सांची के भम्रण को दर्शाया गया है)

लघु शिलालेख

इनकी संख्या 15 बताई गई है।

1. रूपनाथ- जबलपुर (मध्य प्रदेश)
2. गुजर्रा- दतिया (मध्य प्रदेश)
3 नेत्तूर -मैसूर (कर्नाटक )
4.भाब्रू -जयपुर (राजस्थान)
5. मास्की -रायचूर (आंध्र प्रदेश)
6. अहरौरा -मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश)
7. राजुल मंडगिरी- कुर्नूल (आंध्र प्रदेश)
8.एरागुडि- कुर्नूल (आंध्र प्रदेश)
9. गोविमठ- हॉस्पेट (कर्नाटक)
10.पालकिगुंड- हॉस्पेट (कर्नाटक)
11. ब्रह्मागिरी- चित्तलदुर्ग (कर्नाटक)
12.जटिन रामेश्वर (कर्नाटक)
13. सिद्धपुर (कर्नाटक)
14. सहसराम -शाहाबाद (बिहार )
15. सारो-मारो -शहडोल (मध्य प्रदेश)

【छोटा नागपुर का पठार ; खनिज संसाधन का केन्द्र तथा जहाँ से निकलती हैं... दामोदर और स्वर्णरेखा जैसी नदियाँँ】

स्तंभ लेख

1.दिल्ली टोपरा स्तंभ लेख :

प्रारंभ में यह हरियाणा के अंबाला जिले के टोपरा नामक स्थान पर स्थित था किंतु तुगलक वंश के शासक फिरोजशाह ने इसे दिल्ली के कोटला नामक स्थान पर स्थापित करवाया। इस पर अशोक के सातो अभिलेख उत्कीर्ण है जबकि बाकी सब पर सिर्फ छह लेख ही मिले है।


2. दिल्ली-मेरठ स्तंभ लेख :

प्रारंभ में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में स्थित था। इसे भी फिरोजशाह तुगलक द्वारा दिल्ली के कोटला मैदान में स्थापित करवाया गया।

3. लौरिया अरराज स्तम्भ लेख:

अरराज स्तंभ लेख  बिहार के चंपारण में स्थित है।

4. लौरिया नंदनगढ़ स्तंभलेख:

यह स्तंभलेख भी बिहार के चंपारण में पाया गया है। स्तंभ लेख पर मोर का चित्र बना है

5. रामपुरवा स्तंभ लेख :

अशोक का रामपुरवा स्तम्भ ( लेख विहीन)
रामपुरवा स्तम्भ ( लेख विहीन)

यह बिहार के चंपारण क्षेत्र में स्थित है ।इस स्तम्भ (लेख सहित) पर एक सिंह की आकृति उत्कीर्ण है जबकि लेख विहीन स्तम्भ में बैल की आकृति उत्कीर्ण है।

6.प्रयाग स्तंभ लेख:

अशोक का प्रयाग स्तम्भ लेख
प्रयाग स्तम्भ लेख

यह स्तंभ लेख मूलतः कौशांबी में स्थित था किंतु मुगल शासक अकबर ने इसे इलाहाबाद के किले में रखवा दिया था। इस स्तंभ लेख पर रानी कारूवाकी (चारुवाकी) द्वारा बौद्ध संघ को दिए गए दान का उल्लेख है। रानी कारुवाकी अशोक की पत्नी थी।
बाद में इसी अभिलेख पर कवि हरिषेण द्वारा समुद्रगुप्त की प्रशंसा में रचित प्रयाग प्रशस्ति उत्कीर्ण कराया गया। कालांतर में मुगल शासक जहांगीर ने भी अपना लेख इसी स्तम्भ लेख पर लिखवाया।
अशोक पत्नी.. रानी कारूवाकी
रानी कारूवाकी
【जेनेटिक इंजीनियरिंग : जीन चिकित्सा में अमूल्य योगदान】

 लघु स्तंभ लेख


1. सांची -मध्य प्रदेश
2. सारनाथ -उत्तर प्रदेश
 
अशोक का सारनाथ स्तम्भ लेख
सारनाथ स्तम्भ

3.कौशांबी -उत्तर प्रदेश
4.रुम्मानिदेई-नेपाल
 5.निग्लीवा- नेपाल

 गुहा लेख 


बिहार में गया के समीप बाराबार की पहाड़ियों में अशोक के तीन गुफा लेख मिले हैं। यह सभी ब्राम्ही तथा प्राकृत लिपि में है।

......

【मौर्य वंश के प्रथम शासक... चन्द्र गुप्त मौर्य】

                   ✍✍ Penned By- Shobhit Awasthi

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