महाजनपद काल
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महाजनपद |
प्राचीन भारत में राज्य प्रशासन करने वाली इकाइयों को महाजनपद कहते थे। सोहल महाजनपदों के अस्तित्व का उल्लेख बौद्ध ग्रंथ 'अंगुत्तरनिकाय' से प्राप्त होता है। इन महाजनपदों में सबसे शक्तिशाली मगध था। इन सोहल महाजनपदों में अस्मक एकमात्र ऐसा महाजनपद था जो दक्षिण भारत में गोदावरी नदी के किनारे स्थित था। जैन ग्रंथ "भगवती सूत्र" भी हमें सोहल महाजनपदों की जानकारी देता है महाजनपद काल में गणतंत्र तथा राजतन्त्र दोनों तरह की व्यवस्था थी। गौतम बुद्ध के समय दस गणतंत्र स्थापित थे।
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सोलह महाजनपद
1.अवंति:
आधुनिक मालवा को प्राचीन काल में अवंति के नाम से जाना जाता था। अवंति दो भागों में बटी हुई थी उत्तरी अवंति जिसकी राजधानी उज्जयिनी तथा दक्षिणी अवंति जिसकी राजधानी माहिष्मती थी ।
2.अंग:
आधुनिक बिहार के भागलपुर और मुंगेर जिले मिलकर अंग साम्राज्य का निर्माण करते थे। यह मगध के पूर्व में स्थित था तथा अंग तथा मगध हमेशा आपस में संघर्षरत रहते थे। अंत में इसका विलय मगध में हो गया । इसकी राजधानी चंपा थी जो भारत के प्रसिद्ध नगरो में से एक थी।
3.अस्मक:
दक्षिण भारत में स्थित एकमात्र महाजनपद । ये गोदावरी नदी के तट पर स्थित था इसकी राजधानी पोतन (पैठन)थी यहां इक्ष्वाकु वंश के राजाओं का शासन था जो निरंतर अवंति के साथ संघर्षरत थे। अंत में यह अवंति के अधीन हो गया।
4.कंबोज:
यह भारत से बाहर स्थापित था। गांधार तथा कश्मीर का उत्तरी भाग इसमें सम्मिलित था जिसकी राजधानी लाजपुर थी ।5.काशी:
आधुनिक उत्तर प्रदेश का दक्षिणी पूर्वी भाग काशी महाजनपद के रूप में जाना जाता था। यहाँ की राजधानी वाराणसी थी जो वरुणा तथा असी नदियों के संगम पर स्थित थी। जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ के पिता अश्वसेन काशी के राजा थे ।
6.कौशल:
कौशल महाजनपद में आधुनिक उत्तर प्रदेश के गोंडा, अयोध्या, श्रावस्ती तथा बहराइच क्षेत्र शामिल थे। इसकी प्रथम राजधानी अयोध्या थी तथा दूसरी राजधानी श्रावस्ती थी। कौशल के एक राजा कंस को पालि ग्रंथों में "बरानसिग्गहो" कहा गया है। इसने काशी को जीतकर कौशल में विलय कर लिया था। प्रसेनजीत कौशल के एक महान शासक थे।
7.कुरू:
इंद्रप्रस्थ तथा हस्तिनापुर(आधुनिक दिल्ली) के आसपास का क्षेत्र कुरु महाजनपद के अंतर्गत आता था। जैनों के "उत्तराध्ययन सूत्र" में यहां के इक्ष्वाकु नामक राजा का उल्लेख मिलता है। महाभारत महाकाव्य में भी इसका वर्णन किया गया है। इसकी राजधानी इंद्रप्रस्थ थी ।
8.गांधार:
आधुनिक अफगानिस्तान का पूर्वी तथा पाकिस्तान का पश्चिमी क्षेत्र और कश्मीर का कुछ भाग इसमें सम्मिलित था। इसकी राजधानी तक्षशिला थी जो एक प्रसिद्ध शिक्षा का केंद्र था।
9.चेदि:
बुंदेलखंड और उसके आसपास के भाग मिलकर चेदि महाजनपद का निर्माण करते थे। इसकी राजधानी सुक्तिमती थी। इसका वर्णन महाभारत में भी है। शिशुपाल यहां का राजा था।
10.वज्जि:
इसे विश्व के प्राचीनतम गणराज्य के जन्मदाता के रूप में जाना जाता है। यह आठ गणतांत्रिक कुलो का संघ था जो उत्तरी बिहार में गंगा के उत्तर में स्थित था।इसकी राजधानी वैशाली थी ।
11.वत्स:
प्रयागराज के आसपास का भाग वत्स महाजनपद का भाग था। इसकी राजधानी कौशांबी थी।12.पांचाल:
पांचाल महाजनपद रुहेलखंड और मध्य दोआब (पश्चिमी उत्तर प्रदेश) के अंतर्गत बसा हुआ था यह दो भागों में बटा था उत्तरी पांचाल जिसकी राजधानी अहिच्छत्र थी तथा दक्षिणी पांचाल जिसकी राजधानी काम्पिल्य थी।
13.शूरसेन:
कुरु जनपद के दक्षिण में और चेदि जनपद के पश्चिमोत्तर में शूरसेन महाजनपद स्थित था। यहां की राजधानी मथुरा थी। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार अवंति पुत्र यहां का राजा था। पुराणों में मथुरा के राजवंश को यदुवंश कहा गया है।
14.मत्स्य:
आधुनिक राजस्थान के भरतपुर, अलवर तथा जयपुर जिले इस महाजनपद का निर्माण करते थे। यहां की राजधानी विराटनगर थी।
15.मल्ल:
यह महाजनपद गोरखपुर तथा देवरिया के आसपास के क्षेत्र में बसा हुआ था यह भी एक गणतंत्र था। इसकी भी दो शाखाएं थी एक की राजधानी कुसीनारा (कुशीनगर )तथा दूसरे की राजधानी पावा थी।
16.मगध:
मगध पटना तथा गया जिलों में फैला हुआ था। इसकी प्रारंभिक राजधानी राजगीर थी जो चारों ओर से पर्वतों से घिरी होने के कारण गिरिव्रज कहलाई। मगध सभी महाजनपदों में सबसे शक्तिशाली महाजनपद था।
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गौतम बुद्ध कालीन गणतंत्र
लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व बुद्ध के समय दस गणतंत्र राज्य थे जिनमें आठ वज्जि के तथा दो मल्ल के अंतर्गत थे-
1. कपिलवस्तु के शाक्य
2.अल्लकम्प के बुली
3.रामग्राम के कोलिय
4.पिप्पलिवन के मोरिथ
5.वैशाली के लिच्छिवि
6.सुमसुमारगिरि के मग्ग
7.केसपुत्त के कालाम
8.मिथिला के विदेह
9.पावा के मल्ल
10.कुसिनारा के मल्ल
✍✍ Penned By - Shobhit Awasthi
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