किसी राष्ट्र का उज्जवल भविष्य उसकी अर्थव्यवस्था पर निर्भर करता है यदि अर्थव्यवस्था देश की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम नहीं है तो वह देश उन्नति के विषय में सोच भी नहीं सकता है ।
वर्तमान में कई देश आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। दक्षिण एशियाई देशों में श्रीलंका की अर्थव्यवस्था गर्त में जाती हुई प्रतीत हो रही है । श्रीलंका में विदेशी मुद्रा भंडार लगभग समाप्त होने की स्थिति में है। आवश्यक वस्तुओं जैसे ईंधन, खाद्यान्न आदि के आयात हेतु श्रीलंका भुगतान करने की स्थिति मे नहीं है। आवश्यक वस्तुओं की कमी के तथा श्रीलंकाई रुपए में कमी से मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर पहुंच गई है जिसके कारण महंगाई भी अपनी चरम स्थिति को प्राप्त कर चुकी है।
विश्व श्रम दिवस के महत्वपूर्ण तथ्य 👈click here
श्रीलंका भारत के दक्षिण में स्थित एक द्वीपीय देश है जिसकी अर्थव्यवस्था मुख्यतः चाय के निर्यात तथा पर्यटन पर ही निर्भर है। भारत भी श्रीलंकाई बंदरगाहों का प्रयोग अपने आयात व निर्यात के लिए करता है।
श्रीलंका की इस गिरती आर्थिक स्थिति का उत्तरदाई स्वयं श्रीलंकाई शासन है। यहां राजपक्षे परिवार सत्तारूढ़ है जो कि चीन को समर्थन देता है।
श्रीलंका पर वर्तमान में लगभग इक्यावन सौ करोड़ डालर ऋण है जिस में सर्वाधिक चीन, जापान तथा एशियाई विकास बैंक का है। श्रीलंका द्वारा विदेशों से ऋण प्राप्त कर ऐसी परियोजनाओं में निवेश किया गया जिनसे बिलकुल भी लाभ नही कमाया जा सका।इसके साथ ही कोरोना वायरस ने श्रीलंका के पर्यटन क्षेत्र को हाशिये पर पहुंचा दिया। जैसे ही कोरोनावायरस का प्रभाव कम हुआ श्रीलंका ने अपने द्वार पर्यटन के लिए पुनः खोल दिए किंतु अब पर्यटक को रूस यूक्रेन विवाद ने पुनः प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया।
श्रीलंका ने रातों-रात रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिबंध लगाते हुए जैविक कृषि को अपना लिया जिसके कारण खाद्यान्न उत्पादकता निचले स्तर पर तथा महंगाई चरम स्तर पर पहुंच गयी।
श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट देखी जा रही है पिछले 2 वर्षों में 70% की गिरावट के साथ फरवरी 2022 में विदेशी मुद्रा भंडार दो अरब डॉलर पर पहुंच गया जो कि अप्रैल 2022 में समाप्त होने की स्थिति में है। बीते वर्षों में श्रीलंका में आतंकी हमलों ने भी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाला है इन हमलों से न सिर्फ व्यापक जन धन की हानि हुई बल्कि पर्यटकों में भी भय की भावना को व्याप्त हो गयी।
श्रीलंका के लिए भारत एक बड़ा व्यापारिक साझेदार देश है। भारत व्यापार के साथ-साथ अपने निर्यात तथाआयात के लिए श्रीलंकाई बंदरगाहों का प्रयोग करता है। भारतीयों के लिए पर्यटन के रूप में प्रमुख गंतव्य श्रीलंका तथा मालदीव है।
श्रीलंका के अर्थव्यवस्था में भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का पर्याप्त योगदान है जो चीन तथा ब्रिटेन के बाद तीसरे स्थान पर है। व्यापार की दृष्टि से श्रीलंका भारत के लिए विशेष महत्व नहीं रखता है किंतु राजनैतिक सामाजिक तथा सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने निगरानी रखने के लिए भारत को श्रीलंका के साथ अपने संबंधों को मधुर बनाए रखना होगा। 2000 के प्रारंभ में हीचीन द्वारा श्रीलंका को ऋण उपलब्ध करस्य गया था जिसे न चुका पाने के कारण चीन ने श्रीलंकाई बंदरगाह हम्बनटोटा पर 99 वर्षों के लिए अधिग्रहण कर लिया।
चीन द्वारा भारत को घेरने की नीति में श्रीलंका सर्वाधिक बर्बाद हुआ। हाल ही में श्रीलंका ने स्वयं को दिवालिया घोषित कर दूसरे देशों के कर्ज को वापस लौट आने में स्वयं को अक्षम बताया ।
भारत बड़े भाई की तरह श्रीलंका को मदद पहुंचा रहा है। फरवरी 2022 में 1.4 बिलियन डालर का धन श्रीलंका को करंसी स्वैप, ऋण स्थगन, लाइन आफ क्रेडिट के रूप में उपलब्ध कराया इसके साथ ही भारत द्वारा श्रीलंका में खाद्य संकट को देखते हुए 30000 टन चावल का निर्यात किया गया।
चीन की श्रीलंका क्षेत्र पकड़ मजबूत न होने देने के लिए भारत को श्रीलंका को वित्तीय सहायता, नीतिगत सलाह तथा निवेश समय-समय पर उपलब्ध करानी चाहिए। भारत दक्षिण एशिया में सभी देशों के सहयोग से आर्थिक संकट तथा खाद्य संकट को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत को अपने पड़ोसी देशों की सहायता इसलिए भी करनी चाहिए ताकि वह चीन के समीप न जा सके जैसा कि नेपाल में चीन के प्रभाव में आकर नया मानचित्र जारी किया था। भारत को सबके सहअस्तित्व की भावना से प्रगति की ओर अग्रसर होने होगा।
✍✍ शोभित अवस्थी
No comments:
Post a Comment